वजह ..... तेरी कमी है ।।
आंखों में छाई आज फिर से नमी है ।
इसकी वजह तू नहीं सिर्फ तेरी कमी है ।।
यादों के वह मंजर आज भी हरे हैं,
मायूस वो मुझसे तेरी झुकी नजरें हैं ।
बेचैन है रूह मेरी सांसे गुमशुदा सी है,
ईसकी वजह तू नहीं सिर्फ तेरी कमी है ।।
भूले नहीं हम याद है तेरी हर बातें,
वो हंसी वो शरारत और कुछ अनकही मुलाकातें ।
अब लगता है खुश हुए बीते कई सदी है,
इसकी वजह तुम नहीं सिर्फ तेरी कमी है ।।
मन में रहता अजब सा सूनापन है,
जैसे खुद से जुदा मेरी हर धड़कन है ।
ऐसे हालात किसी को शायद मिली है,
इसकी वजह तू नहीं सिर्फ तेरी कमी है ।।
वह सर्द हवाएं आज भी मदमस्त चलती है,
तेरी गलियों से होकर मुझ तक पहुंचती है ।
ना जाने फिर क्यों मन में तपिश सी रह गई है,
इसकी वजह तू नहीं सिर्फ तेरी कमी है ।।
हुए जो हमसे तुम नाराज इस कदर,
बीच भंवर में छोड़ गए जैसे मैं अंजाना और तुम बेखबर ।
इस डूबते को बचा ले शायद ऐसा कोई भी नहीं है,
इसकी वजह तू नहीं सिर्फ तेरी कमी ।।
न जाने क्यों तुझसे ही दिल्लगी की हसरत है,
इस उम्मीद में बिताये हमने ना जाने कितने बरस है ।
है तुझमे भी कमियां फिर भी तेरी तालाब सी लगी है,
इसकी वजह तू नहीं सिर्फ तेरी कमी है ।।
आंखों में छाई आज फिर से नमी है ।
इसकी वजह तू नहीं सिर्फ तेरी कमी है ।।
============एक शुरुआत ============