Thursday 10 September 2020

 वजह ..... तेरी कमी है ।।


आंखों में छाई आज फिर से नमी है ।
इसकी वजह तू नहीं सिर्फ तेरी कमी है ।।

यादों के वह मंजर आज भी हरे हैं,
मायूस वो मुझसे तेरी झुकी नजरें हैं ।
बेचैन है रूह मेरी सांसे गुमशुदा सी है,
ईसकी वजह तू नहीं सिर्फ तेरी कमी है ।।

भूले नहीं हम याद है तेरी हर बातें,
वो हंसी वो शरारत और कुछ अनकही मुलाकातें ।
अब लगता है खुश हुए बीते कई सदी है,
इसकी वजह तुम नहीं सिर्फ तेरी कमी है ।।

मन में रहता अजब सा सूनापन है,
जैसे खुद से जुदा मेरी हर धड़कन है ।
ऐसे हालात  किसी को शायद मिली है,
इसकी वजह तू नहीं सिर्फ तेरी कमी है ।।

वह सर्द हवाएं आज भी मदमस्त चलती है,
तेरी गलियों से होकर मुझ तक पहुंचती है ।
ना जाने फिर क्यों मन में तपिश सी रह गई है,
इसकी वजह तू नहीं सिर्फ तेरी कमी है ।।

हुए जो हमसे तुम  नाराज इस कदर,
बीच भंवर में छोड़ गए जैसे मैं  अंजाना और तुम बेखबर ।
इस डूबते को बचा ले शायद ऐसा कोई भी नहीं है,
इसकी वजह तू नहीं सिर्फ तेरी कमी ।।

न जाने क्यों तुझसे ही दिल्लगी की हसरत है,
इस उम्मीद में बिताये हमने ना जाने कितने बरस है ।
 है तुझमे भी कमियां फिर भी तेरी तालाब सी लगी है, 
 इसकी वजह तू नहीं सिर्फ तेरी कमी है ।।

आंखों में छाई आज फिर से नमी है । 
इसकी वजह तू नहीं सिर्फ तेरी कमी है ।।


============एक शुरुआत ============

Sunday 6 September 2020

   बहुत खास हो तुम ।।

बैठा मैं यूँ  ढूंढ रहा,
वो अल्फाज जिनके सरताज हो तुम ।
किसी तारीफ की मोहताज नहीं, 
तुम जो हो ना, बहुत खास हो तुम ।।

चांद जैसे शीतलता है, नदियों जैसी चंचलता है,
हिमालय जैसा चरित्र तुम्हारा अग्नि जैसी पावनता है ।
तुम्हारी आहट सुन झूम उठते है ये उपवन ।
तुम जो हो ना, बहुत खास हो तुम ।।

सादगी तुम्हें खूब पसंद है,
ऐसा व्यक्तित्व दुनिया में बहुत कम है ।
हो नेक फरिश्ता तुम धरती पर जो करता कभी सितम ,
तुम जो हो ना, बहुत खास हो तुम ।।

हस्ती हो तब फूल झड़ते हैं,
मोर अरण्य में झूम उठते है ।
जब उठे पलकें तुम्हारी, तब बादल हो जाए मगन,
तुम जो हो ना, बहुत खास हो तुम ।।

सुबह की धूप हो या शाम के अंधियारे,
 ये नदियां, ये सागर, वन और उपवन बस तुम्हे पुकारे ।
हर ख्वाहिश, हर मुराद होती तुझ पर खत्म. 
तुम जो हो ना, बहुत खास हो तुम ।।

कोई शायर जो ना पढ़ सका,
वह कहानी जो ना लिखी गई ।
हर कोशिश में जज्बात थे कम, 
तुम जो हो ना, बहुत खास हो तुम ।।

बैठा मैं यूँ  ढूंढ रहा,
वो अल्फाज जिनके सरताज हो तुम ।
 किसी तारीफ की मोहताज नहीं, 
तुम जो हो ना,बहुत खास हो तुम ।।